भारत में मक्का का सीजन बरसात के मौसम में आता है। और, यही मौसम फॉल आर्मी वर्म कीट का भी मनपसंद मौसम होता है। आज हम इससे मक्का की फसल में होने वाले नुकसान और रोकथाम के विषय में चर्चा करेंगे।
कैसा होता है आर्मी फॉल वार्म
आर्मी फॉल वार्म या लश्करी इल्ली एक प्रकार की इल्ली है. यह जिस फसल पर लग जाती है. उसको पूरी तरह से ख़राब कर देती है. यह चार अवस्थाए होती है पहले तो अंडा बनता है. इसी अंडे से लार्वा बनता है. यह तैयार होने में 14 से 15 दिन का समय लेता है. इसी लार्वे से प्यूपा बनता है और प्यूपा से यह पूरा व्यस्क कीट बन जाता है. इसका पूरा जीवनकाल 60 से 90 दिन होता है. इसका प्रकोप लगातार बढ़ता ही जा रहा है.
ऐसे पहचाने कीट को : छोटी से तीसरी अवस्था तक इसके लार्वा को पहचानना मुश्किल है, लेकिन जैसे-जैसे बड़ा होता, इसकी पहचान आसान हो जाती है। इसके सिर पर उलटी वाई के आकार का निशान दिखाई देती है। साथ ही लार्वा के 8 वे बॉडी सेगमेंट पर 4 बिंदु वर्गाकार आकृति में देखे जा सकते हैं। फॉल आर्मीवर्म कीट के सिर के तरह चार बिंदू होते हैं। यह इसकी पहचान का तरीका है।
फॉल आर्मी वर्म कीट कैसे पहुँचाता है नुकसान
जैसे-जैसे लार्वा बड़ी होती है, पौधों की ऊपरी पत्तियों को खा जाती है और लार्वा बड़ा होने के बाद मक्का के गाले में घुसकर पत्तियां खाती रहती हैं। पत्तियों पर बड़े गोल-गोल छिद्र एक ही कतार में नजर आते हैं। आसपास मक्का न मिलने पर यह कीट आपकी दूसरी फ़सलों जैसे धान, गन्ना, कपास और सोयाबीन आदि पर चला जाता है।
तो क्या करें किसान
फॉल आर्मी वर्म के प्रकोप से बचने के लिए किसान भाइयों को ये सुरक्षा इंतज़ाम करना चाहिए-
• मक्का के रोपण से पहले खेत की जुताई करने से कीटों के प्यूपा को पक्षी वगैरह खा जाते हैं।
• बीजों को कीटनाशक से उपचारित करने के बाद ही बोएं।
• पूरे क्षेत्र में मक्का की बुवाई अलग-अलग न करके, एक साथ, एक ही समय पर करें।
• फॉल आर्मी वर्म के प्रकोप को कम करने के लिए आप संकर मक्का की ऐसी वैरायटीज को चुनें जिसका ऊपरी छिलका कड़ा होता हो।
• मक्का के साथ दलहनी फ़सलों को लगाएँ।
• अंडों के समूह और नए-नए लार्वा को चुन-चुन कर नष्ट कर दें।
• खेत में फॉल आर्मी वर्म की उपस्थिति का पता लगाने के लिए प्रति एकड़ 5 फेरोमोन ट्रैप और उसके नियंत्रण के लिए 15 फेरोमोन ट्रैप प्रति एकड़ लगाएँ।
• फसल के चारों और नेपियर घास जैसी ट्रैप क्रॉप के 3-4 लाइन की बुवाई करें।
• फॉल आर्मी वर्म के संकेत दिखाई देने पर 300 मिली सुमपिलियो और 300 मिली डायपेल प्रति एकड़ इस्तेमाल करें।
• फॉल आर्मी वर्म कीट के अंडों को नष्ट करने के लिए ट्राईकोग्रामा और टेलिनोमस स्पीसीज को खेत में छोड़ें। इनको छोड़ते समय यह ध्यान रखें कि उसके बाद कुछ दिनों तक रासायनिक कीटनाशियों का छिड़काव न हो।
कीटनाशकों का उपयोग : फॉल आर्मी वर्म या लश्करी इल्ली की शुरुवाती अवस्था में 300 मिली सुमपिलियो और 300 मिली डायपेल प्रति एकड़ इस्तेमाल करें। अब आप सोच रहे होंगे की दो दवाइयां क्यों इस्तेमाल करनी है। जब भी डायपेल और सुमपिलियो को मिलकर मक्के में हम इस्तेमाल करते हैं तो ये दोनों सम्मलित प्रक्रिया से मक्के की इल्ली को खत्म कर देती हैं। आइये जानते हैं की ये दोनों मक्के की इल्ली को मारती कैसे हैं जैसे ही आप मक्के के पौधे पर दवाई का छिड़काव करते है तो जब उस छिड़काव हुए पत्ते को इल्ली खाती है तो लगभग १२ घंटे के बाद इल्ली का पेट फट जाता हैं, बाकि दवाइयाँ कुछ दिन के बाद बेअसर हो जाती हैं किन्तु डायपेल और सुमपिलियो के कुछ खास तत्वों की वजह से यह इल्ली पर ज्यादा समय तक असरदार रहती हैं डायपेल और सुमपिलियो तीन तरीको से इल्ली पर असर करती है। पहला : जब भी इल्ली छिड़काव हुए पत्तों को खाती है तो कुछ ही समय में मरना शुरू हो जाती है। दूसरा : जब भी इल्ली छिड़काव हुए पत्तों के संपर्क में आती है तो कुछ ही समय में मरना शुरू हो जाती है। तीसरा : जब भी इल्ली छिड़काव के दौरान दवाई के संपर्क में आती है तो कुछ ही समय में मरना शुरू हो जाती है।
डायपेल और सुमपिलियो का उपयोग कैसे करें : आइये जानते है की इसका इस्तेमाल कैसे करना चाहिए 300 मिली प्रति एकड़ सुमपिलियो और 300 प्रति एकड़ मिली डायपेल 200 लीटर पानी में लेकर घोल बना ले और शाम के समय छिड़काव करें। ध्यान रखे की छिड़काव करते समय पौधे के ऊपरी हिस्सों के साथ साथ पुरे पौधे का भीगना बहुत जरुरी है और इसका इस्तेमाल इल्ली की शुरुवाती अवस्था में ही करें ताकि ये इल्ली पर ज्यादा से ज्यादा असर कर सके।
डायपेल और सुमपिलियो इस्तेमाल करने के फायदे : भारत के कई प्रदेशो में किसानो ने डायपेल और सुमपिलियो का इस्तेमाल करके फॉल आर्मी वर्म या लश्करी इल्ली से 100 प्रतिशत छुटकारा पाया है ज्यादा जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट www.lashkariilli.com देखे और निचे दिए गए वीडियो को अच्छी तरह से देखे।
तो, किसान भाइयों, आपका अनुभव कैसा रहा, हमें ये बताना न भूलें।