अन्य फसलों की तुलना मे मक्का कम समय में पकने और अधिक पैदावार देने वाली फसल है। अगर किसान थोड़े ध्यान से और आज की तकनीकी के अनुसार खेती करें, तो इस फसल की अधिक पैदावार से अच्छा मुनाफा ले सकते हैं।



अन्य फसलों की तुलना मे मक्का कम समय में पकने और अधिक पैदावार देने वाली फसल है। अगर किसान थोड़े ध्यान से और आज की तकनीकी के अनुसार खेती करें, तो इस फसल की अधिक पैदावार से अच्छा मुनाफा ले सकते हैं।
सोयाबीन (Soybean) खरीफ की फसल है। सोयाबीन (Soybean) जिव पोषण और स्वास्थ्य के लिए उपयोगी खाद्य पदार्थ है, जिसके अंदर कार्बोहाइड्रेट 21 प्रतिशत, वसा 22 प्रतिशत, प्रोटीन 33 प्रतिशत और 12 प्रतिशत नमी होती है। इसलिए हम कह सकते है की सोयाबीन मानव जीवन के लिए कितना उपयोगी खाद्य पदार्थ है। सोयाबीन भारत की सबसे महत्वपूर्ण तिलहनी और जड़ ग्रंथिय फसल है। खाद्य तेल आपूर्ति और सोया खली निर्यात से सोयाबीन ने भारत देश की अर्थव्यवस्था को सुद्धढता प्रदान की है।
कपास की पैदावार नगदी फसल के रूप में की जाती है. कपास को बाज़ार में बेचने पर किसानों की अच्छी कमाई हो जाती है. जिस कारण उनकी आर्थिक हालत में काफी सुधर आता है.आज इसकी पैदावार भारत के ज्यादातर हिस्सों में की जा रही है. कपास की आज कई तरह की प्रजातियाँ बाज़ार में पाई जाती हैं. जिनसे अधिक मात्रा में पैदावार प्राप्त होती है. सबसे लम्बे रेशों वाली कपास को सबसे सर्वोतम माना जाता है. जिसकी पैदावार तटीय इलाकों में ज्यादा होती है.
The cotton plant has perhaps the most complex structure of all major field crops. Its indeterminate growth habit and extreme sensitivity to adverse environmental conditions is unique. The growth of the cotton plant is very predictable under favourable moisture and temperature conditions. Growth follows a well-defined and consistent pattern expressed in days. Another useful and more precise way to assess crop development relies on using daily temperatures during the season to monitor progress.
कपास में समेकित नाशीजीव प्रबंधन, कपास भारत की प्रमुख फसलों में से एक है जो देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है| कपास की उच्च उपज वाली किस्मों के विकास, प्रौद्योगिकी के उपयुक्त हस्तांतरण, बेहतर कृषि प्रबंधन प्रथाओं को अपनाने एवं संकर बीटी कपास की खेती के तहत बढ़े हुए क्षेत्र के माध्यम से भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कपास उत्पादक बन गया है| कपास की फसल की कम पैदावार के लिए कीट एवं रोग प्रमुख रूप से उत्तरदायी हैं| कपास को हानि पहुँचाने वाले कीटों की विभिन्न प्रजातियों में कुल 12 कीट आर्थिक क्षति की दृष्टि प्रमुख माने जाते हैं|
किसान मित्रों पिछले साल कपास में गुलाबी इल्ली के भयानक प्रकोप के कारण, इस बार पहले से ही गुलाबी इल्ली का नियंत्रण करना अत्यधिक जरुरी हो गया है। आप तो जानते ही है की हमारा देश विश्व में कपास का दूसरे नंबर का निर्यातक देश है पर बीटी कॉटन टेक्नोलॉजी आने से पहले गुलाबी इल्ली को कंट्रोल करना हमारे किसानो के लिए सबसे बड़ी समस्या थी। उस समय कपास का उत्पादन करना बहुत मुश्किल काम था। आज कपास में गुलाबी इल्ली के प्रकोप को देख कर लगता है की कहीं ना कहीं आज के समय में भी उन्हीं परिस्थतियो का निर्माण हो रहा है। इसलिए अब सही समय पर गुलाबी इल्ली के नियंत्रण के लिए उपाए करना बहुत जरुरी है। इसीलिए किसान भाइयो आने वाले साल में अगर कपास की अच्छी फसल लेनी है तो निम्नलिखित कुछ बातो को ध्यान में रखना होगा।
कपास की खेती भारत की सबसे महत्वपूर्ण रेशा और नगदी फसल में से एक है| और देश की औदधोगिक व कृषि अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख भूमिका निभाता है| कपास की खेती लगभग पुरे विश्व में उगाई जाती है| यह कपास की खेती वस्त्र उद्धोग को बुनियादी कच्चा माल प्रदान करता है| भारत में कपास की खेती लगभग 6 मिलियन किसानों को प्रत्यक्ष तौर पर आजीविका प्रदान करता है और 40 से 50 लाख लोग इसके व्यापार या प्रसंस्करण में कार्यरत है|
गन्ना भारत में महत्वपूर्ण वाणिज्यिक फसलों में से एक है और इसकी नकदी फसल के रूप में एक प्रमुख स्थान है। चीनी और चीनी का मुख्य स्रोत गन्ना है। भारत दुनिया में चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। गन्ना खेती बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार देती है और विदेशी मुद्रा प्राप्त करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
विश्व में भारत का सेब की खेती से उत्पादन में नौवां स्थान है, जहाँ इसका कुल उत्पादन 1.48 मिलियन टन होता है| हमारे देश में सेब के कुल उत्पादन का 58 प्रतिशत जम्मू कश्मीर, 29 प्रतिशत हिमाचल प्रदेश, 12 प्रतिशत उत्तरांचल तथा 1 प्रतिशत अरूणाचल प्रदेश में होता है| शीतोष्ण फलों में सेब अपने विशिष्ट स्वाद, सुगन्ध, रंग व अच्छी भण्डारण क्षमता के कारण प्रमुख स्थान रखता है| इसका उपयोग ताजे एवं प्रसंस्कृत उत्पादों जैसे- जैम, जूस, मुरब्बा इत्यादि के रूप में भी किया जाता है|
India is among the leading 10 countries in the world in the production of grapes. Mostly used in India as a table fresh fruit, grapes are also used for making wines and raisins. Did you know? There are more than 25 varieties of grapes!